ਪ੍ਰਗਟਿਓ ਮਰਦ ਅਗਮੜਾ ਵਰਿਆਮ ਅਕੇਲਾ।। ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਆਪੇ ਗੁਰ ਚੇਲਾ।। ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ ਦੀ ਲੱਖ-ਲੱਖ ਵਧਾਈ।
सूरा सो पहचानिये जो लरे दीन के हेत; पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहूँ ना छाडे खेत। संत सिपाही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की शुभकामनायें!
देह शिवा वर मोहि इहै; शुभ करमन पे कबहूँ ना टरों; ना डरो अर सो जब जाये लरों; निश्चय कर अपनी जीत करो। कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की शुभ कामनाएं!
सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावई ॥ सुनै मूड़्ह चित लाइ चतुरता आवई ॥ दूख दरद भौ निकट न तिन नर के रहै ॥ हो जो याकी एक बार चौपई को कहै ॥४०४॥ शब्दार्थ: यहाँ गुरु जी कह रहे हैं कि अगर मूक प्राणी जो बाणी को सुनेगा बोलने लग जायेगा, मूर्ख भी बुद्धिमान हो जायेगा। एक बार जो चौपाई को पढ़ेगा, उसके निकट कभी दुःख दर्द नहीं रहेगा। आप सब को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश उत्स्व की हार्दिक बधाई!
गुरू गोबिंद गोपाल गुर पूरन नारायणहि॥ गुरदिआल समरथ गुर गुर नानक पतित उुधारणहि॥ शब्दार्थ: गुरु ही पूर्ण है, जो सबके दिल में बस रहा है; वो दयालु है, सर्व व्यापी है और हमारे पापों को क्षमा करने वाला है। गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की बधाई!
जो तो प्रेम खेलन का चाव; सिर धर तली गली मेरी आओ। कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
सूरा सो पहचानिये जो लरे दीन के हेत; पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहूँ ना छाडे खेत। संत सिपाही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
पिता जिसका था हिन्द की चादर; आप बना वो रक्षक निमानों का; खिड़े माथे जिसने सरबंस वार दिया; वो है गुरु बलिदानियों का; जिसका जीवन था देश और कौम के नाम; यह है साका उसकी कुर्बानियों का। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
देह शिवा वर मोहि इहै; शुभ करमन पे कबहूँ ना टरों; ना डरो अर सो जब जाये लरों; निश्चय कर अपनी जीत करो। कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
राज करेगा खालसा, आकी रहे ना कोए; वाहेगुरू जी का खालसा वाहेगुरू जी की फ़तेह। कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
चिड़ियों के संग बाज़ लड़ाऊँ; तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!